posted on : जुलाई 16, 2021 3:26 अपराह्न
हरिद्वार । गन्ना मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द, जिलाधिकारी सी. रविशंकर, डीएफओ नीरज कुमार ने पर्यावरण को समर्पित हरेला पर्व के अवसर पर गंगा वाटिका, हरिद्वार वन प्रभाग, कनखल से वृहद् वृक्षारोपण अभियान का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर बोलते हुये गन्ना मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द ने प्राकृतिक वातावरण का उल्लेख करते हुये कहा कि प्रकृति के बीच में रहने का अपना एक अलग ही आनन्द है। उन्होंने कहा कि जब आप पेड़ के नीचे बैठे होते हैं, तो उस समय मन को काफी सुकून मिलता है। उन्होंने कहा कि मैं मकान से भी ज्यादा महत्व पेड़ को देता हूं। इसीलिये मैं मकान बनाने से पहले पेड़ लगाता हूं। उन्होंने कहा कि हमें केवल पेड़ लगाने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिये, बल्कि उस पेड़ की पूरी देखभाल व जिम्मेदारी भी लेनी चाहिये, तभी वह पेड़ पुष्पित व पल्लवित होगा। उन्होंने संस्थाओं/लोगों से अधिक से अधिक मात्रा में वृक्ष लगाने का आह्वान किया।
जिलाधिकारी सी. रविशकर ने कहा कि हमने हरेला पर्व से सम्पूर्ण जनपद में पूरे जुलाई माह में वृक्ष लगाने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण अभियान को पूरे योजनाबद्ध ढंग से चलाया जायेगा। इस अभियान के तहत ऐसी जगहों-स्मृति वन, कार्यालय परिसर तथा जहां पर ट्री गार्ड की व्यवस्था होगी, को प्राथमिकता दी जायेगी। उन्होंने कहा कि तटबन्धों के आसपास भी पेड़ पेड़ लगाने की हमारी योजना है, जो हमें बाढ़ जैसी आपदाओं को कम करने में मदद कर सकता है।
डीएफओ नीरज कुमार ने कहा कि वृक्षों के महत्व से हम सभी परिचित हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि हमारी कथनी और करनी में अन्तर नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि अगर हम मन में पेड़ लगाने के बारे में सोचते हैं, तो उसे हमें धरातल पर उतारना भी होगा। उन्होंने लोगों से अधिक से अधिक पेड़ लगाने के साथ ही उसके संरक्षण पर भी ध्यान देने को कहा। इस अवसर पर बीइंग भागीरथ संस्था द्वारा आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लेने वाले बच्चों के उत्साहवर्द्धन के लिये पुरस्कार भी बांटे गये। इस अवसर पर रामकृष्ण मिशन के स्वामी दयाधीपानंद जी, बीइंग भागीरथ के शिखर पालीवाल सहित बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि हरेला पर्व खुशहाली, सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य, धनधान्य एवं हरियाली का प्रतीक है। ऋग्वेद में कृषि कणत्व अर्थात खेती करो के तहत हरेले का उल्लेख है। हरेला पर्व पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक है। इस पर्व से मौसम को पौधरोपण के लिये उपयुक्त माना जाता है।
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