posted on : अक्टूबर 11, 2021 12:47 अपराह्न
“ऑपरेशन कामधेनु” के तहत यातायात को सुचारू रूप से चलाने एवं सड़क दुर्घटनाओं को रोकने हेतु जनपद जनपद पुलिस द्वारा अब तक की गयी कार्यवाही
पौड़ी : वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कु. पी. रेणुका देवी जनपद पौड़ी गढ़वाल द्वारा जनपद में सड़कों पर आवारा घूमने वाले पशुओं के कारण अक्सर यातायात अवरुद्ध होने से जाम की स्थिति उत्पन्न होने एवं इन पशुओं के कारण सड़क दुर्घटनायें घटित होने तथा आवारा घूमने वाले पशुओं पर नियन्त्रण लगाये जाने हेतु जनपद में “ऑपरेशन कामधेनु” की शुरूवात की गयी है। जनपद के थाना क्षेत्रान्तर्गत पौड़ी, श्रीनगर, कोटद्वार, लैन्सडाउन एवं लक्ष्मणझूला को अपने-अपने थाना क्षेत्रों में आवारा घूमने वाले पशु स्वामियों के विरूद्ध कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया गया है।
जनपद पौड़ी गढ़वाल में 19 जुलाई 2021 से अब तक पुलिस द्वारा जनपद के थाना पौड़ी, श्रीनगर, कोटद्वार, लैन्सडाउन एवं लक्ष्मणझूला पुलिस द्वारा जारी की गयी एसओपी के तहत सर्वप्रथम अपने-अपने थाना क्षेत्रों में आवारा घूमने वाले पशुओं का रजिस्ट्रेशन पशुपालन विभाग से करवाये जाने एवं पशुओं को आवारा न छोड़ने हेतु जागरूकता अभियान चलाया गया। जिसके तहत जनपद पुलिस द्वारा सम्बन्धित पशुचिकित्साधिकारी से समन्वय स्थापित कर अब तक 1102 कामधेनु का पंजीकरण करवाया गया है। पुलिस द्वारा सार्वजनिक स्थानों में घूमने वाले कामधेनु को सम्बन्धित नगर निगम व नगर पालिका से समन्वय स्थापित कर 178 कामधेनु को गौशाला पहुँचाया गया एवं 07 आवारा पशुओं को आमजन द्वारा गोद लिया गया। जनपद पुलिस द्वारा जागरूकता अभियान चलाये जाने के पश्चात भी कुछ कामधेनु स्वामियों द्वारा अपने पशुओं को सड़कों में आवारा छोड़ने पर 222 पशु स्वामियों के विरुद्ध उत्तराखण्ड गोवंश संरक्षण (संशोधन) अधिनियम- 2015 व उत्तराखण्ड पुलिस अधिनियम के अनुसार कार्यवाही की गयी|
जनपद पौड़ी गढ़वाल पुलिस ने सभी पशु स्वामियों से निवेदन करते हुए कहा कि अपने पशुओं का पशुपालन विभाग में रजिस्ट्रेशन करवाकर टैग अवश्य लगवायें। अपने पशुओं को सड़कों में आवारा न छोड़ें। आवारा पशुओं के कारण यातायात अवरूद्ध एवं दुर्घटनायें होने की पूर्ण सम्भावनायें रहती है. पुलिस ने कहा कि कुछ कामधेनु स्वामियों द्वारा अपने दुधारू गायों के दूध न देने के पश्चात सड़कों पर आवारा छोड़ दिया जाता है। जिससे पशु पॉलिथीन कूड़ा करकट आदि खाकर मर जाते हैं। अतः मानवता के दृष्टिगत अपने पशुओं को सड़को पर आवारा न छोड़कर अपने घर की गौशालों में ही रखकर पालन पोषण करें। अन्यथा सम्बन्धित पशु स्वामी के विरुद्ध उत्तराखण्ड गोवंश संरक्षण अधिनियम-2007 के तहत नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही की जायेगी।