posted on : सितम्बर 20, 2022 8:36 अपराह्न
कोटद्वार । अवैध खनन से हो रही वन विभाग की फजीहत को अब वन विभाग के कर्मठ अधिकारियों ने नकेल डालना शुरू कर दिया है। ऐसा ही एक उदाहरण कोटद्वार में लैंसडाउन प्रभागीय वनक्षेत्र के अन्तर्गत आने वाली नदियों जिनमें मालन और सुखरौ प्रमुख हैं जो अवैध खनन कारोबारियों के लिए किसी सोना का अंडा देने वाली मुर्गी से कम नहीं थी। मिडिया और आमजन में धारणा वन चुकी थी कि खनन पर लगाम लगाने के लिए वन विभाग लचर रवैया अपना रहा है वहीं वनकर्मी भी खनन माफियाओं के साथ हमसाज होकर खूब मलाई चाट रहे हैं। परन्तु जब से कोटद्वार में नवनियुक्त वन क्षेत्राधिकारी और प्रभागीय वनाधिकारी ने कमान संभाली है तब से खनन माफियाओं के हौसले पस्त और रात दिन की नींद के साथ सकून भी गायब हो रहा है।
वहींसोमवार को वन क्षेत्राधिकारी की संस्तुति पर प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा वन विभाग के वन आरक्षी की संलिप्तता पाए जाने पर कठोर कार्यवाही कर सस्पेंड करने से वनविभाग के खनन माफियाओं के हमसाज और मलाई चाटने वाले वन कर्मियों में हड़कंप मच गया है। लैंसडौन वन प्रभाग के खनन संलिप्तता में पहली बार देखने को मिला है जब किसी वन विभाग के कर्मचारी पर कार्यवाही करते हुए सस्पेंड किया गया हो। यह मुमकिन तभी हो पाया जब साफ छवि के कर्मठ, निर्भिक वन क्षेत्राधिकारी और प्रभागीय वनाधिकारी की नियुक्ति होने से। लैंसडौन वन प्रभाग में इस तरह की कार्यवाही पहले कभी नहीं देखी गई की किसी कर्मचारी या अधिकारी पर सस्पेंड करने की कार्यवाही की गई हो। प्रभागीय वन अधिकारी दिनकर तिवारी और कोटद्वार रेंज में वन क्षेत्राधिकारी अजय ध्यानी के नियुक्ति के बाद इस तरह की कार्यवाही देखने को मिली।