कोटद्वार । नगर आयुक्त ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कहा कि झंडीचौड में कूड़े के निस्तारण के लिए 10 बीघा भूमि नगर निगम के नाम हस्तांतरित हो गई है किंतु वहां की जनता वास्तविकता को नहीं पहचान सकी । उन्होंने बताया कि आठ जनवरी को कतिपय समाचार पत्रों द्वारा समाचार प्रकाशित किया गया कि झंडीचौड में कूड़े के निस्तारण के लिये 10 बीघा भूमि नगर निगम के नाम हस्तान्तरित हो गयी। जिससे जनता में सन्देश कुछ इस प्रकार गया कि मानो झण्ड़ीचौड़ ट्रैचिंग ग्राउण्ड बनने वाला है। जबकि वास्तविकता इससे कुछ हट कर है।
उन्होंने बताया कि असल में कोटद्वार में ट्रैचिंग ग्राउण्ड और कूड़े की समस्या के निस्तारण हेतु नगर आयुक्त के अनुरोध पर जिलाधिकारी गढ़वाल द्वारा ग्राम-गन्दरियाखाल पट्टी-हल्दूखाता में 0.097 है0, ग्राम-रामदयालपुर पट्टी-हल्दूखाता में 0.239 है0, पश्चिमी झण्ड़ीचैड़ पट्टी- हल्दूखाता में 0.227 है0 तथा उत्तरी झंडीचौड पट्टी-हल्दूखाता में 0.081है0 कुल 0.644है0 राजस्व भूमि नगर निगम कोटद्वार को हस्तानान्तरित की गयी। जिसका मुख्य उद्देश्य यह था कि ट्रैचिंग ग्राउण्ड के लिए एक मुश्त भूमि उपलब्ध न होने के कारण कूड़ा निस्तारण की समस्या से निजात पाने के लिये वार्ड स्तर पर जगह सर्च की जाय। फलतः उक्त पांच भूमि के टुकड़े नगर निगम के नाम हस्तानान्तरित करवाये गये।उक्त भूमि के हस्तान्तरण के पीछे उद्देय ये था कि कूड़े का निस्तारण वार्ड स्तर पर किया जाय। प्रत्येक वार्ड में एक छोटा ट्रैचिंग स्पाॅट बनाया जाय। जिसमें उसी वार्ड के कूड़े का निस्तारण किया जायेगा। झंडीचौड के उक्त चार स्थलों को एक माॅडल के रूप में विकसित किया जायेगा। इनमें कूड़ा निस्तारण की अम्बिकापुर/नत्थूवाला विधि अपनायी जायेगी। ताकि लोगों के इस मिथक को तोड़ा जा सके कि कूड़े के निस्तारण से गन्दगी होती है या बदबू फैलती है।
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