जोशीमठ । भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र को जोड़ने वाली जोशीमठ-मलारी हाईवे गुरुवार को भी सुचारु नहीं हो सका है। जिसके चलते घाटी के 19 गांव यातायात सम्पर्क खत्म हो गया है। ऐसे में यहां सीमा क्षेत्र में जाने वाले सेना, आटीबीपी के जवानों के साथ ही सीमांत गांवों के ग्रामीणों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें कि बीते दिनों चमोली में हुई बारिश से जोशीमठ-मलारी हाईवे 10 से अधिक स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया है। जिससे भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र के सलधार, सुभांई, रैंणी, पैंग, मुरेंडा, जुग्जू, जुवा, लाता, सूकी भलगांव, तोलमा, फागती, लौंग, जुम्मा, कागा गरपक द्रोणागिरी, जेलम, कोषा, मलारी, कैलाश पुर, कुडगुटी, गमशाली, महरगांव, फरकिया, बाम्पा और नीती गांवों का यातयात सम्पर्क पूरी तरह से खत्म हो गया है। ग्राम प्रधान सूकी भलगांव लक्ष्मण बुटोला और ग्राम प्रधान कागा पुष्कर सिंह का कहना है कि सलधार से लेकर नीती तक सीमा सड़क खस्ताहालत में पहुंच गई है। जिसके चलते घाटी के ग्रामीणों को आवश्यक कार्य के लिये जोशीमठ तक पहुंचने के लिये मीलों पैदल दूरी नापनी पड़ रही है, वहीं घाटी में संचार सेवा के ठप होने से बाहरी क्षेत्रों में निवास कर रहे ग्रामीण परिजनों से भी सम्पर्क नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में घाटी में ग्रामीणों के बीमार होने की स्थिति में बड़ी दिक्कत आ सकती है। ग्रामीणों ने बीआरओ से जोशीमठ-मलारी और लोनिवि द्रोणागिरी-गरपक सड़क को शीघ्र सुचारु करने की मांग उठाई है।
जोशीमठ-मलारी हाईवे के क्षतिग्रस्त हिस्सों के सुधारीकरण के लिये मशीनें और मजदूरों की तैनाती की गई है। हालांकि तमक भूस्खलन जोन पर पहाड़ी से गिर रहे पत्थरों के चलते हाईवे को सुचारु करने में दिक्कतें आ रही है। लेकिन यहां भी हाईवे के सुधारीकरण कार्य करवाया जा रहा है।
कर्नल मनीष कपिल, कमांडर, बीआरओ, जोशीमठ।