कोटद्वार। आईएचएमएस संस्थान में गढ़वाल राइफल के सूत्रधार सुबेदार मेजर बलभद्र सिंह नेगी की मूर्ति का भव्य अनावरण कार्यक्रम हुआ।आईएचएमएस संस्थान में सुबेदार मेजर बलभद्र सिंह नेगी की मूर्ति का भव्य अनावरण कार्यक्रम किया गया। सुबेदार मेजर नेगी को गढ़वाल रेजिमेंट के जन्म का श्रेय दिया जाता है। सुबेदार मेजर बलभद्र सिंह नेगी की स्मृति में उनकी तीसरी पीढ़ी ने बलभद्र सिंह नेगी एजुकेशनल सोसायटी का गठन किया, जिसके अन्तर्गत आईएचएमएस संस्थान स्थापित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह रावत (विशिष्ट सेवा पदक) रहे। कार्यक्रम का प्रारम्भ मुख्य अतिथि के स्वागत समारोह के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन कर रही सपना रौथाण ने स्वागत प्रस्ताव में सुबेदार मेजर बलभद्र सिंह नेगी और संस्थान के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह रावत ( विशिष्ट सेवा पदक) ने फूलों से श्रंगार रचित और मलमल के वस्त्र से सुसज्जित मूर्ति का अनावरण पुष्प माला पहनाकर किया।उसके बाद अन्य सभी महानुभावों ने माल्यार्पण कर अनावरण में अपनी सहभागिता दी।मुख्य अतिथि ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह रावत ( विशिष्ट सेवा पदक) ने अपने संबोधन में सुबेदार मेजर बलभद्र सिंह नेगी की प्रेरणाप्रद गाथा को सबके सम्मुख रखा और बताया कि कैसे उन्होनें गढ़वाल रेजिमेंट की स्थापना की और लाट सुबेदार की उपाधि प्राप्त की। संस्थान के मैनेजिंग डायरेक्टर बीएस नेगी ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट किया और पूर्णिमा नेगी ने मुख्य अतिथि की पत्नि श्रीमती रावत को स्मृति चिन्ह भेंट किया।ब्रिगेडियर अनूप नेगी ने अपने संबोधन में नेगी परिवार की ओर से सभी का धन्यवाद दिया।समारोह में 150 के लगभग लोगों ने सिरकत की, कार्यक्रम में गढ़वाल राइफल के अनेक भूतपूर्व सैनिक उपस्थित रहे।संस्थान की और से सभी उपस्थित जनों को जलपान दिया गया।कार्यक्रम में संस्थान के चेयरमैन जे0एस0 नेगी, एमडी बीएस नेगी, डायरेक्ट (एडमिन) कर्नल बीएस गुसांई, एक्जेक्यूटिव डायरेक्टर अजय राज नेगी, डायरेक्टर एकेडमिक आलोक असवाल, ब्रिगेडियर अनूप नेगी एवं संस्थान के कर्मचारीगण एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
जाने सुबेदार मेजर बलभद्र सिंह नेगी के बारे में
कोटद्वार। गढ़वाल रेजिमेंट के जन्म का श्रेय अप्रैल 1829 में जिला पौड़ी गढ़वाल के है दाखोली गाँव में जन्मे इस सैनिक को दिया जाता है। 1847 में वह 5 वीं गोरखा राइफल्स में भर्ती होने के लिए अपने मूल स्थान से 500 मील दूर बटाबाद गए। वह अपनी ईमानदारी कड़ी मेहनत और बुद्धिमत्ता के कारण तेजी से रैंकों के माध्यम से विकसित हुआ।अफगान युद्ध में उन्होंने जनरल एफएस रॉबर्ट्स और रणनीतिक बुद्धिमत्ता साहस और दुस्साहस का प्रदर्शन किया। उन्होंने काबुल और कंधार की लड़ाइयों में भी अनुकरणीय साहस का प्रदर्शन कियाय ऑर्डर ऑफ मेरिट के साथ उनका सम्मान हुआ। उन्हें सूबेदार मेजर के पद पर पदोन्नत होने पर सरदार बहादुर की उपाधि से भी सम्मानित किया गया। जब लॉर्ड रॉबर्ट्स कमांडर.इन.चीफ और फिर फील्ड मार्शल बने तो उन्होंने एसएम बलभद्र ने अपने एडीसी के रूप में और उन्हें लाट सूबेदार की उपाधि से सम्मानित किया।इस अवधि के दौरान उन्हें ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश इंडिया से सजाया गया और उत्कृष्ट सैनिक पदक से सम्मानित किया गया। सूबेदार मेजर बलभद्र का सपना था कि गढ़वालियों की अपनी एक अलग बटालियन होनी चाहिए। उपयुक्त समय परए उन्होंने भगवान रॉबर्ट्स के साथ अपने विचार साझा किए जो आश्वस्त थे और वायसराय लॉर्ड ड्युफरीन और उसके बाद हुई बैठक में भी यह प्रस्ताव रखाय उन्होंने संदेश दिया कि एक मातृभूमि जो बलभद्र सिंह जैसे पुरुषों को पैदा कर सकती हैए उनकी अपनी एक अलग बटालियन होनी चाहिए। परिणामस्वरूप 5 मई 1887 को गढ़वालियों की पहली बटालियन का गठन किया गया।28.29 अप्रैल 2006 कोए गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंटल सेंटर लैंसडाउन ने पहला बलभद्र दिवस मनाया। गढ़वाल राइफल्स के इतिहास के 119 वर्षों के इतिहास में यह पहली बार था कि एक ऐसे व्यक्ति को सम्मानित करने के लिए एक समारोह मनाया गया जो एक दूरदर्शी व्यक्ति था और एक तरह से गढ़वाल राइफल्स के पिता के रूप में देखा जा सकता है लांए सूबेदार बलभद्र सिंह नेगी ओबीआईए आईओएमए गढ़वाल का एक उत्कृष्ट व्यक्तित्व।उनकी स्मृति में उनकी तीसरी पीढ़ी ने श्री बलभद्र सिंह नेगी एजुकेशनल सोसायटी का गठन किया 16 अप्रैल 2004 को पंजीकृत। आतिथ्य प्रबंधन और विज्ञान संस्थान।वर्ष 2006 में इस समाज के तत्वावधान में कोटद्वार में स्थापित किया गया था।हमने इस महान व्यक्ति को एक ईमानदारी से श्रद्धांजलि अर्पित करने का प्रयास किया है जिसमें आईएचएमएस की दृष्टि है जो परिश्रम भक्ति और समर्पण के तत्वों के साथ गठित सीखने के आधुनिक निवास के रूप में उभर रही ।