posted on : अक्टूबर 3, 2021 10:22 अपराह्न
गढ़वाल : चंदना नेगी का जन्म पश्चिमी बंगाल राज्य के माल्दा शहर में 04 सितंबर सन् 1994 को हुआ था। वह मूल रूप से जनपद पौड़ी गढ़वाल के डोभ-श्रीकोट गाँव की हैं एवं वर्तमान में अपनी माँ के साथ श्रीनगर में रहती हैं। चंदना के घर में उनके माता-पिता एवं एक भाई हैं। विगत कुछ दिन पूर्व मैं जब चंदना के घर पर जाकर उनसे मिला तो उनकी माँ गीता नेगी द्वारा अभूतपूर्व आतिथ्य प्राप्त हुआ। चूंकि मेरी भी संगीत के विषय में गहरी अभिरुचि है तो चंदना से संगीत की तकनीकी बारीकियों के बारे में जानने का अवसर प्राप्त हुआ। चंदना ने बताया कि संगीत की साधना भी गहन ध्यान-साधना (मेडिटेशन) जैसी ही है। किसी संगीतज्ञ द्वारा आर्य मौन धारण कर, बाह्य जगत की परिघटनाओं से विमुक्त होकर अंतर्मुखी होते हुए संगीत के गहरे समंदर में खो जाने से ही उत्कृष्ठ संगीत की सृजना की जा सकती है। चंदना अपने व्यस्त स्केड्यूल में भी समय का अच्छा प्रबंधन करते हुए गायन का रियाज करने में लगी रहती हैं। वह कहती हैं जब उन्हें संगीत साधना में रत होने का विचार आता है तो किसी ऐसे निर्जन स्थान में जाने की कल्पना मन में आती है, जहाँ पूर्ण रूप से शांति हो औऱ किसी भी प्रकार का बाह्य विक्षोभ न हो। वास्तव में यही संगीत के अद्भुत संसार खूबसूरती है, जहां व्यक्ति स्थितप्रज्ञ होकर खुद में समाहित हो जाता है। उनके पिता अर्ध सैनिक बल में सेवारत होने की वजह से, चंदना की शिक्षा-दीक्षा अलग-अलग राज्यों के केंद्रीय विद्यालयों से हुई। चंदना के जन्म के समय उनके पिताजी की पोस्टिंग पश्चिमी बंगाल में थी, वहीं की संगीतमय आबो-हवा चंदना की रगों में ऐसे समाहित हुई कि बचपन से ही उनका अटूट रुझान संगीत एवं गायन कला के प्रति हुआ। उनकी मधुर आवाज को सुनकर सभी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
बचपन से ही वह टी०वी०, रेडियो व टेप-रेकॉर्डर पर संगीत सुनकर अपनेआप में ही गुनगुनाने लगती। माँ अपनी बेटी की मधुर व सुरीली आवाज सुनकर मन ही मन प्रफ़ुल्लित होती और सोचती कि मेरी बेटी आगे चलकर उत्तराखंड की लता मंगेशकर बनेगी। लेकिन उनकी माता को इतना दृढ़ विश्वास भी नहीं था कि बेटी आगे चलकर वास्तव में संगीत की दुनिया में इस कदर समर्पित हो जायेगी। चंदना छोटी कक्षाओं से ही संगीत व गायन में प्रतिभाग करने लगी। उनके घर-परिवार व स्कूल से भी उन्हें संगीत साधना में रत होने व उनकी गायन कला को उभारने में खूब उत्साहवर्द्धन मिलता है।
चंदना की शिक्षा-दीक्षा अधिकांश रूप से देश के विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों से हुई। उन्होंने बचपन में सरस्वती शिशु विद्या मंदिर श्रीनगर व केंद्रीय विद्यालय श्रीनगर से भी पढाई की। वह बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल एवं मेधावी छात्रा थी। वह हमेशा अपनी परीक्षाओं में प्रथम अथवा द्वितीय स्थान प्राप्त करती थी। चंदना ने इंटरमीडिएट परीक्षा पी०सी०एम० ग्रुप से प्रथम श्रेणी में 89-90% प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की। संगीत व गायन में रुचि होने की वजह से उन्होंने विज्ञान ग्रुप को छोड़कर स्नातक में कला वर्ग को चुना एवं उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद से मास कम्यूनिकेशन (जन-संचार) में स्नातक की उपाधि हासिल की। इसके पश्चात त्यागराज गवर्नमेंट स्कूल ऑफ म्यूजिक एन्ड डांस हैदराबाद से संगीत में डिप्लोमा की पढ़ाई की। वर्तमान में वह संगीत से विशारद भी कर रही हैं। चंदना जहाँ भी जिस स्कूल में भी जाती, लोग उनकी कला एवं गायन प्रतिभा के इतने कायल हो जाते कि जब भी उनके पिताजी का किसी अन्य राज्य की पैरामिलिट्री फ़ोर्स में स्थानांतरण होता तो वहाँ के लोग विदाई के समय बड़े ही व्याकुल हुआ करते। एक बार जब चंदना कक्षा दो में पढ़ती थी तो स्कूल में स्टेज परफॉर्मेंस के दौरान किसी गढ़वाली गाने पर नृत्य चल रहा था, अचानक टेप रिकॉर्डर की कसेट फ़ंसने की वजह से गाना बंद हो गया तो चंदना ने दर्शकों के मनोरंजन को बरकरार रखते हुए खुद माइक्रोफोन लेकर हारमोनियम के साथ पूरा गढ़वाली गाना स्वयं गाया। इस पर सभी गुरुजनों, दर्शकों एवं अभिभावकों का खूब आशीर्वाद एवं प्यार मिला। अपनी विद्यालयी शिक्षा के दौरान उन्होंने बहुत डांस व म्यूजिक प्रतिस्पर्धायें जीती। वह जहां भी रही जिस विद्यालय में भी पढ़ी, वहां उन्होंने उत्तराखंडी लोक संगीत व संस्कृति का लोहा मनवाया।
चंदना स्नातक की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद हैदराबाद स्थित मल्टी नेशनल कंपनी में जॉब कर रही हैं। कोविड काल से वर्तमान में वह हैदराबाद की उसी एम०एन०सी० में श्रीनगर गढ़वाल से ही वर्क फ्रॉम होम मोड में ऑफिसियल जिम्मेदारियों को संभालते हुए, समय निकाल कर संगीत की साधना भी किया करती हैं। चंदना हैदराबाद में कई संस्थाओं के म्यूजिक कंटेस्ट्स में जज की भूमिका में रही। उनके लिए प्रथम एवं सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि जब आई०टी०सी० संगीत रीसर्च अकेडमी कलकत्ता के द्वारा चंदना का चयन एक माह के म्यूजिकल स्कॉलरशिप प्रोग्राम हेतु हुआ। इस अखिल भारतीय कार्यक्रम हेतु चंदना को उनके प्रिंसिपल ने प्रेरित किया था। इसमें देश भर के केवल 8 बच्चों का ही चयन हुआ था, जिनमें से चंदना एक थी। उस एक माह की म्यूजिकल जर्नी के दरमियान चंदना को संगीत जगत की बड़ी-बड़ी महान विभूतियों एवं मूर्धन्य कलाकारों का सानिध्य एवं संसर्ग प्राप्त हुआ। वह आज भी चंदना को प्रेरणा देते रहते हैं। चंदना का चयन ऑल इंडिया रेडियो हैदराबाद प्रोग्राम पर ग़ज़ल गायिका के रूप में भी हुआ। चंदना ए०आई०आर हैदराबाद के प्रोग्राम पर ग़ज़ल गाने व तानपुरा बजाने के लिए जाया करती थी। जब भारत के राष्ट्रपति जी की ओर से ए०आई०आर० हैदराबाद रेडियो प्रोग्राम पर चंदना को निमंत्रण आता था तो उनकी माता खुशी से अभिभूत हो जाती।
चंदना की पहली रेकॉर्डिंग अमित सागर के श्रीनगर गढ़वाल स्थित स्टूडियो से हुई जिसमें उनका क्योंकि तुम ही हो, कवर सॉन्ग यू-ट्यूब चैनल पर डेव्यू हुआ। उस समय चंदना 11वीं की कक्षा में पढ़ती थी। चंदना ने हैदराबाद में बहुत सारे गढ़वाली, हिंदी एवं तेलगू गाने गाये। चंदना ने अमित सागर के साथ खूब गढ़वाली गाने किये लेकिन कई गाने दुर्भाग्यवश सतह पर नहीं आ पाये। वर्तमान में चंदना के कुछ गाने रेकॉर्ड हुए हैं जिनकी रिलीजिंग निर्माताओं पर निर्भर करती है। चंदना अक्सर रेकॉर्डिंग के लिए देहरादून, श्रीनगर और पौड़ी जाया करती हैं। चंदना नेगी के कुछ हिट सॉन्ग इस प्रकार से हैं- लाली-लाली- 2015, चल चेपड़ी- 2015, आंखी सरम्याली- 2016, तेरु साथ- 2019, आधा रात- 2020, हिरणि सी चाल- 2020, नींदें (हिंदी ऑफिसियल सॉन्ग)- 2020, पहली नजर- 2021, मेरु झुमकू- 2021, आंख्यों मा सुरमा- 2021, तुम याद आओगे (ट्रिब्यूट सॉन्ग टू सुशांत सिंह राजपूत)- 2021।
प्रकाश चौहान ने कहा कि मुझे पूर्ण आशा है चंदना नेगी यूँही नित नए शब्दों एवं भावों को अपनी खूबसूरत स्वर लहरियों में पिरोकर अपनी मधुर आवाज का संगीतमय जादू बिखेरती रहेंगी। चंदना नेगी की मेहनत, लगन एवं संगीत कला के प्रति उनका अद्भुत समर्पण भाव वाकई प्रशंशनीय है। मैं संगीत जगत के क्षेत्र में उनके सुनहरे भविष्य की कामना करता हूँ।