posted on : सितम्बर 19, 2021 9:18 अपराह्न
कोटद्वार । कोराना काल के बीच दस सितंबर से शुरू हुए दस दिवसीय गणेश महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया । गणेश महोत्सव के इन दस दिनों में कई अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित कर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की गई । नगर के पदमपुर स्थित गणेश मंदिर में प्रत्येक दिन पूजा अर्चना की गई वहीं सिद्धिविनायक सेवा समिति ने हर वर्ष की भांति पंडाल लगाकर दस दिन तक गणेश जी की पूजा अर्चना की । रविवार को बड़े हर्षोल्लास के साथ सिद्धबली मंदिर के समीप खो नदी में गणपति की प्रतिमाओं का विसर्जन कर बप्पा को विदाई दी । घरों एवं सार्वजनिक मंडलों में विराजीत भगवान श्री गणेश की प्रतिमाओं को विधि-विधान पूर्वक विसर्जन किया गया । ऐसे में चहुंओर से ‘गणपती बाप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ की गूंज सुनाई दी और भाविक श्रद्धालुओं ने बेहद भारी मन से अपने लाडले बाप्पा को अगले एक वर्ष के लिए बिदा किया ।
बता दें कि कोटद्वार शहर में हर साल गणेश उत्सव को लेकर कई बड़े-बड़े आयोजन होते हैं । विसर्जन के दिन तो दिन भर ट्रैक्टरों और डीजे की धुन पर रंग गुलाल उड़ाते हुए बड़ी संख्या में लोग खो नदी पहुंचकर प्रतिमाओं को विसर्जित करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से गणेश उत्सव के बड़े आयोजन नहीं देखने को मिले ।
श्री सिद्धबली मंदिर के मुख्य पुजारी केके दुदपुडी ने बताया कि गणपति बप्पा हिन्दुओं के आदि आराध्य देव होने के साथ-साथ प्रथम पूजनीय भी हैं। किसी भी तरह के धार्मिक उत्सव, यज्ञ, पूजन, सत्कर्म या फिर वैवाहिक कार्यक्रमों में सभी के निर्विघ्न रूप से पूर्ण होने की कामना के लिए विघ्नहर्ता हैं और एक तरह से शुभता के प्रतीक भी। ऐसे आयोजनों की शुरूआत गणपति पूजन से ही की जाती है। शिवपुराण के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को गणेश जी का जन्म हुआ था, जिन्हें अपने माता-पिता की परिक्रमा करने के कारण माता पार्वती और पिता शिव ने विश्व में सर्वप्रथम पूजे जाने का वरदान दिया था।