कोटद्वार (गौरव गोदियाल): हर साल 20 मार्च को गौरेया दिवस मनाया जाता है । गौरैया के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए साल 2010 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई थी । पिछले कुछ समय से गौरैया की संख्या में काफी कमी आई है । गौरैया को झुंड में रहना पसंद है। भोजन के लिए गौरैया का एक झुंड करीब दो मील की दूरी तय करता है। गौरैया की लंबाई 14 से 16 सेंटीमीटर होती है, जबकि इसका वजन 25 से 32 ग्राम तक होता है।
गौरैया एक छोटी प्रजाति की चिड़िया है। यह एशिया, अमेरिका, यूरोप के कई देशों में पाई जाती है। गौरैया को घरेलू चिड़िया यानी हाउस स्पैरो भी कहा जाता है। कंक्रीट जंगल बनने से, प्राकृतिक जंगल घटने से, मोबाइल टावर की तरंगों से भारत ही नहीं, बल्कि विदेश में भी गौरैया की तादाद में गिरावट आ रही है। गौरैया की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें एक हाउस स्पैरो भी है, जिसे गौरैया कहा जाता है। गौरैया की संख्या कितनी है, इसकी गणना अभी तक नहीं हो पाई है। जिस अनुपात में पहले गौरैया दिखती थीं, उस अनुपात से नहीं दिख रही हैं। मोबाइल टावर की तरंगें गौरैया के प्रजनन में प्रभाव डालती हैं, जैसे गिद्ध व हुदहुद के साथ हुआ है। अगर ऐसी स्थिति रही है तो निकट भविष्य में गौरैया को देख पाना मुश्किल होगा।
गौरैया विलुप्त होने के कगार पर है। कुछ लोग उसके संरक्षण का प्रयास कर रहे हैं। गौरैया संरक्षण के लिए कार्य कर रहे अध्यापक दिनेश कुकरेती कई वर्षों से प्लाइवुड के घोंसले बनाकर व बांटकर इनके संरक्षण का कार्य कर रहे हैं । वह बताते हैं कि गौरैया सामान्यत: घरों में घोंसले बनाती हैं। मसलन, छप्पर, झरोखा, बंद पंखा, छत की लकड़ी, खपरैल को अपना आशियाना बनाती हैं। साथ ही गौरैया घने पेड़ बबूल, कनेर, नींबू, अमरूद, अनार आदि पेड़ों को भी पसंद करती हैं।
ऐसे बढ़ेगा गौरैया का कुनबा
- गर्मी का मौसम चल रहा है। इसलिए घर की छत पर, पार्कों व बालकनी में बर्तन में दाना-पानी भरकर रखें।
- प्रजनन के समय उनके अंडों की सुरक्षा करें।
- घर के बाहर ऊंचाई व सुरक्षित जगह लकड़ी के घोंसले लटका सकते हैं।
- आंगन व पार्कों में कनेर, नींबू, अमरूद, अनार, मेहंदी, बांस, चांदनी आदि के पौधे लगाएं।