कोटद्वार (गौरव गोदियाल) : कोरोना के इस संकट काल में घर से दूर ड्यूटी कर रहीं माताओं को अपने मासूम बच्चों की चिंता सताती है, परंतु अपने फर्ज के आगे वह बच्चों को घर में छोड़कर ही वह लोगों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं । माताएं इस कोरोना काल को चुनौती मानकर अपने काम और घर के बीच सामंजस्य बैठाते हुए मोर्चे पर डटी हुई हैं। ऐसी कोरोना योद्धाओं को दिल से सैल्यूट तो बनता है। ऐसी ही एक कोरोना योद्धा जनपद पौड़ी के कोटद्वार थाने में तैनात महिला कांस्टेबल सुमन पांथरी हैं, जो अपने घर पर दो नन्ही बालिकाओं को दादा के सहारे छोड़कर अपने कर्तव्यपथ पर डटी हैं। सुमन मृतक आश्रित कोटे में भर्ती हुई है । उनके पति भी पुलिस में तैनात थे ।
महिला कांस्टेबल सुमन पांथरी अपनी दोनों बेटियों के साथ कुम्भीचौड स्थित अपने निजी आवास पर रहती हैं । वह अपनी 10 वर्षीय बालिका व 4 वर्षीय बालिका को दादा के साथ घर पर छोड़कर अपनी ड्यूटी पर निकल जाती है ।वर्तमान समय में सुमन कौड़िया चेक पोस्ट पर प्रवासियों पर नजर बनाए हुई है । वह बिना कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव लाने वाले लोगों पर शक्ति दिखाती हैं और उनकी कोरोना की जांच करवाने के बाद होम आइसुलेट के लिए कहती हैं ।
महिला कांस्टेबल सुमन पांथरी बताती हैं घर जाने के बाद भी बच्चों से सीधे जाकर नहीं मिलती। नहाने के बाद ही बच्चों के पास जाती हूं फिर भी उन्हें कहीं संक्रमण ना हो जाए इसकी चिंता रहती है। इसलिए बच्चों से थोड़ी दूरी बनाकर रहना इन दिनों उनकी मजबूरी है। सुमन कहती हैं इस मुश्किल की घड़ी में उन्हें उनके ससुर जी, देवर व बुआ का भरपूर सहयोग मिला है । वह हर कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करते हैं इसलिए वे खुद को भाग्यशाली मानती हैं। स्नान करने के बाद ही वह अपनी बेटियों से मिलती हैं। उनका कहना है कि हम साफ सफाई के साथ और अपने घर पर रहकर पूर्णतया पालन करते हुए ही कोरोना के विरुद्ध जारी इस जंग को जीत सकते हैं।
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