हरिद्वार । कुम्भ नगरी हरिद्वार को महाकुम्भ 2021 के लिए दुल्हन की तरह सजाया गया है। हरकी पैड़ी से लेकर ऋषिकेश, ढालवाला व राजाजी पार्क के बफर जोन तक पूरे कुम्भ क्षेत्र का कायाकल्प किया गया है। यहां जहां भी आपकी नजर पड़े वहां पर सुन्दर आकृतियां एवं चित्रकारी आपकी आंखो को सुकून देगी। खास बात यह है कि इस बार के महाकुम्भ का आयोजन “ग्रीन-क्लीन कुम्भ” की थीम पर आधारित होगा। इसमें गंगा की शुद्धता और पर्यावरण की रक्षा पर सारा जोर दिया गया है। इसके अलावा कुम्भ के दौरान विद्युत ऊर्जा का कम से कम इस्तेमाल हो और सौर ऊर्जा का अधिकाधिक इस्तेमाल हो इसकी पूरी तैयारी की गई। जबकि पूरा हरकी पैड़ी क्षेत्र-मुख्य कुम्भ नगर सोलर-पॉवर आधारित एलईडी लाइट्स से जगमगा रहा है।
मेला क्षेत्र को भव्य रूप प्रदान करने के लिए शानदार तरीके से आकर्षक रंगों से सजाने का काम किया गया है। दिन के समय रंग बिरंगे चित्रों से सजे कुम्भ मेला क्षेत्र शाम गहराते ही सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली विविध रंगों की लेजर लाइट्स से चमक रहा है। इन लाइट्स की वजह से कुम्भ मेला क्षेत्र की इमारतों का रंग अपने-अपने स्वरुप के अनुसार बदलने लगता है। कुम्भनगरी के मठ, मंदिरों के अलावा सरकारी भवनों, चौराहों को भव्य रूप दिया गया है। कुम्भ क्षेत्र में संत-महात्माओं, भगवान श्रीराम व चारों धामों के चित्रों को भव्य रूप से दर्शाया गया है। साथ ही हरिद्वार के भवन एवं दीवारों पर भगवान शंकर व चारों धामों के मंदिरों के दर्शन छाया चित्रों के माध्यम से देखने को मिल रहे हैं। यही नहीं कुम्भ कलश के साथ-साथ धार्मिक चित्रों के संग्रह भी हरेक दीवारों पर उतारे गए हैं। इधर कुम्भ क्षेत्र में पड़ने वाले सरकारी भवनों समेत पुल, घाट आदि की दीवारों को धार्मिक मान्यताओं के पौराणिक चित्रों व संस्कृति के रंग बिखेरते चित्रों से सजाया गया है। अर्थात हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण के ‘पेंट माई सिटी’ कैम्पेन से धर्म नगरी की फिजा बदलने कि कोशिश की गई है।
दिव्य और भव्य है महाकुम्भ
महाकुम्भ श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए एकदम तैयार है। इस बार का कुम्भ दिव्य और भव्य हो रहा है। कुम्भ नगरी में घर-घर की दीवारों को सजाया गया है। यह चित्रकारी लोगों को अपनी ओर बरबस आकर्षित कर रही है। दीवारों पर पर्वतीय संस्कृति की झलक नजर आ रही है। हमने विभिन्न प्रतिष्ठित कला संस्थानों के छात्रों और शोधार्थियों को आमन्त्रित किया है। वे चित्रकारी से लोक परंपराओं व संस्कृति के रंगों से महाकुम्भ को सराबोर करें।
कुम्भ में की गई चित्रकारी ने दिलाई पहचान
चित्रकार संदीप रघुवाण का कहना है कि उन्होंने रातदिन हिरद्वार की गलियों की खाक छानी है। बहुत ही कर्मठता के साथ सभी चित्रकार साथियों ने अपनी-अपनी कला का हुनर दिखया है। कहा कि उनका यह पहला काम है जो बड़े स्तर पर किया गया है। अब तो उनकी मांग अलग-अलग क्षेत्रों में हो रही है। संदीप ने बताया कि कुम्भ में जो चित्रकारी उन्होंने की है वह उसके भविष्य के लिए सुरक्षित हो गई है।