हरिद्वार : एक दक्ष शिल्पी जिसने गढ़ दिया कुम्भ को भव्यता के ढांचे में, ….वह शिल्पी जिसे दीर्घ अनुभव है….. उत्तराखंड की धार्मिक सफल आयोजनों का है…. वह शिल्पी जिसे पारंगता हासिल है …विषम ओर विपरीत परिस्थितियों को सुखद बनाने की, जिसकी नेतृत्व क्षमता ओर प्रबन्धन के सभी कायल है.
जी हाँ हम इशारा कर रहै हैं महाकुम्भ हरिद्वार महानिरीक्षक संजय गुंज्याल की जिन्होंने पूर्व में रहस्य रोमांच से भरी एशिया की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा मां नन्दा देवी राज जात के सफल आयोजन सम्पादन और समापन से मां नन्दा देवी का आशीर्वाद और मानव हृदय में सम्मान और ख्याति प्राप्त की थी, जिनके नेतृत्व में उत्तराखंड पुलिस ने शिखर श्रेष्ठ एवरेस्ट का सफल आरोहण कर इतिहास रच दिया.
वहीं 12 मार्च को हुए नाहन में अखाड़ों के समय अनिश्चितता से उतपन्न परस्थितियों का हल हो या तीनो शाही स्नान में अविरल यातायात संचालन यह सब एक दीर्घ अनुभव और कार्यकुशलता का ही परिणाम है, वर्तमान में पुलिस महानिरीक्षक द्वारा हरिद्वार कुम्भ के बेहतर संचालन के लिए 09 जोन और 25 सेक्टर में बाँटा गया है जहाँ बेहतर यातायात , कोविड मुक्त कुम्भ,सुरक्षित कुम्भ जैसे अनेक पहलुओं को ध्यान में रखा जा रहा है हरिद्वार के चप्पे चप्पे पर सीसीटीवी ओर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के माध्यम से नजर रखी जा रही है यात्रियों के समान के खोने की घटना हो या श्रद्धालुओं के लापता होने की , सभी के लिए त्वरित संचालित खोया पाया केंद्र ओर डिजिटल पोर्टल बनाया गया है.
कुम्भ इतिहास में प्रथम बार था जब दो शाही स्नान और एक नव संवतसर स्नानपर्व अविराम क्रमिक रूप से आये, ऐसा लग रहा था कोविड चुनोती के मध्य इतनी भीड़ ओर शाही स्नान सब कैसे सम्भव है कैसे सम्भव हो कि अत्यंत जन घनत्व लिए इस कपिला में लाखों श्रद्धालु पूर्ण उल्लास ओर आध्यात्मिक रस में डूब कर स्नान करें। जैसा कि हम जानते है की विश्व के विराट जनसमूह का यह आयोजन अत्यंत लघुता लिए गंगा नदी घाटों में सम्पन्न होता है श्रद्धालुओं के जनसमूह के सापेक्ष यहां स्थान अत्यंत अल्प है किन्तु इस मुश्किल को आसान बनाया कुशल शिल्पी ने जिसने छैनी से तराश दिया कलश को, ओर तैयार किया, शाही स्नान के साथ श्रद्धालुओं के गंगा स्नान के लिए मास्टर प्लान ।
चक्रव्यूह योजना बनाई गई, जिसके तहत सभी भक्तों को नाहन की तैयारी की गई है आकस्मिक सहायता हो या जानकारी प्रसार सभी के लिए डिजिटल प्रसारण किया गया, कुम्भ यात्रा को सुगम एवम सफल बनाने के लिए अनेक जानकारी प्रदान करते होल्डिंग लगाए गए एलइडी में माध्यम से भी संगीत से कोविड अवेर्नेस के साथ ही भक्तिमय परिवेश उतपन्न किया जा रहा था
कोविड प्रसार की चुनोती के मध्य तीन शाही स्नान सकुशल रहे , यह एक ऐतिहासिक तथ्य बना की प्रथम बार 14 अप्रेल बैसाखी का शाही स्नान, बिना किसी अवरोध ओर अप्रिय घटना के सम्पन्न हुआ और इसी के साथ टूटा आजादी के बाद से बना बैशाखी पर्व का श्रापित मिथक, किन्तु यह सब यकायक नही है महानिरीक्षक कुम्भ संजय गुंज्याल के कुशल नेतृत्व ने जहां अपनी सेना में भरपूर आत्मविश्वास ओर कार्य कर्मण्यता की ऊर्जा को पैदा किया वहीं आम जन के मध्य में विश्वास की नवलय भी प्राप्त की है अवश्य ही विश्व के बृहद जनसमूह,और धार्मिक आयोजन महाकुम्भ का सशक्त एवं कुशल संचालन आने वाली वाले समय मे स्मृतियों में रह कर पथप्रदर्शक का कार्य करेगा.