हरिद्वार : हरिद्वार कुम्भ 2021 आरम्भ से ही अनेक चुनोतियों से भरा रहा। दिव्य कुम्भ का भार सम्भालने वाले सजग, सतर्क खाकी कुम्भ वीरों का कोविड संक्रमण से मुक्त रहना भी एक चुनोती थी, जिस हेतु एक सुनियोजित रणनीति और दृढ संकल्प इरादों ने रास्ता आसान कर दिया। आईजी संजय गुंज्याल की कुशल रणनीति से कुम्भ पुलिस नें निभाया सुरक्षित कुम्भ का वादा.
महाकुम्भ को संम्पन कराने में 16717 खाकी कुम्भ वीरों ने दी अपनी सेवाएं
कुम्भ आयोजन में सम्मलित होने से पूर्व 196 जवानों को छोड़कर शेष सभी पुलिस कार्मिको, पैरामिलेट्री फोर्स, होमगार्ड, PRD जवानों एवं अन्य आनुषंगिक इकाइयों के कर्मचारियों का वेक्सीनेशन किया गया। शेष 106 पुलिस कर्मियों को एलर्जी, स्वास्थ्य समस्या जैसे कारणों से वेक्सीन नही लगाई जा सकी। महाकुम्भ ड्यूटी के दौरान पूर्व में ही शीर्ष नेतृत्व द्वारा आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर दिए गए थे, जिसमें मुख्यतः ड्यूटी में तैनात प्रत्येक पुलिस कर्मी को ड्यूटी के दौरान उपयोग हेतु मास्क, फेस शील्ड, सेनिटाइजर आदि अनिवार्य रूप से प्रदान किये गये। साथ ही जिन पुलिस कर्मियों में सर्दी, खांसी, जुखाम, बुखार अथवा कोरोना के लक्षण पाए गए जाएं उन्हें ड्यूटी पर न लगाकर समुचित उपचार देते हुए आइसोलेशन में रखा गया।
कुम्भ ड्यूटी के दौरान अतिरिक्त सतर्कता बरतते हुए प्रत्येक स्नान पर्व के बाद भीड़-भाड़ वाली जगहों पर ड्यूटी करने वाले सभी कार्मिकों का कोविड टेस्ट कराया जाता ताकि ड्यूटी के दौरान हुए संक्रमण का समय रहते पता लग सके। ड्यूटी के बाद संक्रमित पुलिस कर्मियों के लिए अलग से चिकित्सा, रहने, खाने की व्यवस्था की गई। अप्रैल माह के अंत तक कुम्भ ड्यूटीरत 16717 पुलिसकर्मियों मे से मात्र 88 पुलिस कर्मी ही पॉजिटिव पाए गए, जिनमे से अधिकांशतः उचित उपचार और देखभाल के बाद स्वस्थ होकर अपनी ड्यूटी पर वापस जा चुके हैं तथा वर्तमान में सिर्फ 14 पुलिसकर्मी उपचाराधीन हैं, जो खतरे से बाहर हैं।
यह एक कुशल रणनीति का ही हिस्सा रहा कि इस विराट पर्व में संक्रमित होने वाले पुलिस कर्मियों की सख्यां नाम मात्र ही रही। ड्यूटीरत 16 हजार से अधिक कर्मियों के सापेक्ष तुलनात्मक रूप से देखने पर संक्रमित हुए कार्मिकों का आंकड़ा अत्यंत अल्प प्रतीत होता है। साथ ही यदि हम इसकी तुलना उत्तराखंड के अन्य जनपदों के सामान्य आंकड़ों से करते है तो पाते है कि कुम्भ नगरी में संक्रमण की दर किसी भी जनपद से अधिक नही रही।
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