देहरादून : आज जब कोविड के प्रहार से मानव घायल है ओर उसके अंदर रोष भी व्याप्त है समाज के उन लोगों के लिए जो मैं धर्म निभाने के स्थान पर कालाबाजारी को प्रोत्साहन दे रहें है। उस परिपेक्ष्य में उत्तराखंड पुलिस के इंस्पेक्टर प्रवीण आलोक ने अपनी फ़ेसबुक वाल में बेहतरीन ढंग से अपने शब्दों में समाज के इन दरिंदों पर प्रहार किया है वे लिखते है….
कोविड तुम्हें क्या कहें तुम तो मात्र प्रोटीन के खोल हो, तुम्हारा क्या कसूर तुम्हें तो प्रकृति ने बनाया ही संक्रमण के लिए है, तुम्हारे गुण का सृजन ही प्रकृति में इंसान के विपरीत हुआ है तुमने तो अपने और परायों की पहचान कराई, तुमने वित्त संचय का कारण ओर महत्व दर्शाया, तुमने भौतिकवाद की पराकाष्ठा में प्रकृति से टकराव का विध्वंसकारी रूप दर्शित कराया। है अदृश्य जीव तुमने तो अहसास कराया कि प्रकृति में हम कितने बोने है तुमने अहसास कराया कि प्रकृति में सब बराबर है इंसान हो या कीट सबकी क्षमताये ओर आंकलन प्रकृति के समक्ष नगण्य है इंसान तुमसे नही हारा, हारा है तो अपने ही भेष में छिपे गिद्धों से, जो विलुप्त नहीं हुए सिर्फ चोला बदल कर प्रहार कर रहे हैं।
आश्चर्य तो इंसानी रूप में मंडराते गिद्धों को देखकर हो रहा है, जो कफ़न से लेकर आक्सीजन सिलेंडर तक हर वस्तु की कालाबाजारी कर रहे हैं हम कमजोर नहीं थे हमें कमजोर बनाया इन सियारों ने जो हर आवश्यक वस्तु को महंगा कर बाजार से गायब करते है। आज नही तो कल हम विजयी होंगे हमारा आत्मविश्वास और मानवीय धर्म हमें विजयी करेगा हाँ तब तक हम बहुत से इंसानों को खो चुके होंगे,जिसकी पीड़ा सदियों तक इतिहास में दर्ज की जाएगी और दर्ज की जायेगी पाप-पुण्य की पोथी में समाज के इंसानी दानवो की क्रूर कहानियां।
इंस्पेक्टर प्रवीण आलोक अपने आर्टिकल और लेखनी के लिए पूर्व में भी चर्चाओं में रहे हैं इनके द्वारा संयुक्त रूप से लिखा कुम्भ गीत जनसमुदाय में काफी प्रसिद्ध रहा है कुम्भ के दौरान इंस्पेक्टर प्रवीण आलोक के द्वारा पुलिस की हर छोटी बड़ी घटना से मीडिया को रूबरू कराया गया. कुम्भ में हो या SDRF में हर जगह इंस्पेक्टर प्रवीण आलोक की तारीफ ही हुई है.
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