शादी वाला घर था। इधर उधर की बातों में अब अगली शादी किसके घर होगी का ज़िक्र चल पड़ा ।
“ बस अब गौतमी के बेटे वंश की शादी रह गयी है ।”बड़ी बुआ ने कहा ।
“ अरे कुंतो जीजी आहिस्ता बोलो तुम्हें नहीं पता गौतमी का बेटा ‘ गे’ (समलैंगिक )है ।
“ हे भगवान ये कौनसी बीमारी लगा दी “ बड़ी बुआ ने हमदर्दी से कहा ।
चाची को मौक़ा मिला आँखे मटकाते ,चटकारे लेती बोली “ सुना है अमरीका में किसी अंग्रेज आशिक़ के साथ रहता है “।
“गौतमी को तब भी समझ कम थी और अब भी; किसी गरीब लड़की को बहू बना ले , शादी हो गयी बच्चा हो गया ,फिर यह जवानी की
नादानी ख़त्म हो जाएगी “। बड़ी बुआ ने हल बता दिया ।
अब शालू से रहा न गया “ यह प्राकृतिक स्वभाव है वंश की अपनी चौइस है “
“यह नए ज़माने का उलजलूल ज्ञान न बाँट “ बड़ी बुआ ने डाँटते हुए कहा ।
“ चलो आपके ज़माने की भाषा में कहती हूँ , शालू ने उत्तेजित स्वर में कहा , “ ताई जी और आप सबने गौतमी भाभी की जान खा रखी थी, 02 बेटियाँ के बाद 4 अबॉर्शन करवाए , यह उन कन्या भ्रूणो का श्राप है ।
“अब चला लो वंश “
लेखिका : शिवानी खन्ना,दिल्ली
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