posted on : दिसम्बर 12, 2021 8:23 अपराह्न
बिहार ब्यूरो
पटना : जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता और पूर्व विधान पार्षद प्रो. रणबीर नंदन ने कहा है कि शराबबंदी के बाद लगातार बिहार आगे बढ़ रहा है। प्रगति के मार्ग पर चल निकला है। प्रो. नंदन ने कहा कि शराबबंदी के बाद प्रदेश में विकास के कार्यों में प्रगति आई है। प्रो. नंदन ने कहा कि वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी की घोषणा की। 1 अप्रैल 2016 को शराबबंदी लागू की गई। प्रदेश में विकास योजनाएं पूरी रफ्तार से चल रही हैं। इसी चुनाव में माननीय मुख्यमंत्री ने बिहार के विकास के लिए सात निश्चय लिया था।
प्रो. रणबीर नंदन ने कहा कि प्रदेश के हर घर तक नल का जल पहुंचाने की मुहिम को पूरा किया गया है। हाईस्कूल हर पंचायत तक बनाया गया है। सभी जिलों में इंजीनियरिंग काॅलेज खोलने का कार्य किया गया है। मेडिकल कॉलेजों को खोलने की तैयारी चल रही है। अनुमंडल स्तर पर पाॅलिटेक्निक काॅलेज खोला गया है। हर गांव और टोले को पक्की सड़क से जोड़ा गया है। पटना तक पांच घंटे में पहुंचने के लिए सड़कों के चैड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है। कोविड काल में सरकार ने जिस प्रकार से लोगों की जान बचाने के लिए किया, क्या किसी से छुपा है।
प्रो. नंदन ने कहा कि शराबबंदी ने बिहार की सूरत भी बदली है, बिहार के लोगों का जीवन भी बदला है और बिहार को विकास की पटरी पर आगे ले जाने की सीधी राह भी दिखाई है। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता अगर खुश नहीं है, स्वस्थ नहीं है, शिक्षित नहीं है, संतुष्ट नहीं है तो विकास का हर पैमाना अधूरा है, बेकार है। बिहार की आम जनता शराबबंदी से खुश है, स्वास्थ्य और शिक्षा बेहतर हो रही है, सामाजिक माहौल लोगों को संतुष्टि दे रहा है। जो पूछते हैं शराब के फायदे, उनके लिए जवाब लंबा हो सकता है। लेकिन कुछ चुनिंदा फायदे हैं जो सीधा फायदा दे रहे हैं।
- घरेलू हिंसा में गिरावट – शराबबंदी के बाद घरेलू हिंसा के मामलों में सबसे बड़ी कमी आई है। शराबबंदी के समय में प्रदेश में घरेलू हिंसा के 3800 से 4000 तक मामले दर्ज होते थे। वर्ष 2019 में यह घटकर 2000 से 2100 के बीच आ गई थी। अब तो यह 1800 से भी नीचे आ चुकी है।
- गांव की इकोनाॅमी को ताकत – शराबबंदी ने गांव की इकोनोमी को मजबूत किया है। जो पैसे पहले दारू पर खर्च होते थे, अब जरूरत के सामान खरीदने के लिए खर्च हो रहे हैं।
- दुर्घटनाओं में कमी – शराब के कारण होने वाली सड़क दुर्घटना के मामलों में भी काफी कमी आई है। अपराध के आंकड़ों में वर्ष 2015 से वर्ष 2016 के बीच ही करीब 27 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी।
- बेहतर भोजन – बिहार में शराबबंदी से पहले लोग भोजन पर हर हफ्ते महज 1005 रुपए खर्च करते थे, जबकि शराबबंदी के बाद 1331 रुपए खर्च कर रहे हैं।
- खेती पर ध्यान – शराबबंदी के बाद 43 फीसदी पुरुष खेती पर ज्यादा समय देने लगे हैं। 84 फीसदी महिलाओं को ज्यादा बचत हो रही है और उनकी आय में बढ़ोतरी हुई है।
- गरीबों के बच्चे भी स्कूलों में – शराब ने घरों की ऐसी स्थिति बना दी थी कि बच्चे स्कूल ही नहीं जा पा रहे थे। गरीबों के बच्चे स्कूल नहीं जा पाते थे। लेकिन आज हालात यहां तक सुधरे हैं कि गरीब का बच्चा भी पढ़ रहा है क्योंकि घर के मुखिया को सरकारी योजनाओं का लाभ पता चल रहा है। सरकारी स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या 2020 में 76.9ः से बढ़कर 2021 में 80.5ः हो गई, जबकि 2018 से पिछले तीन वर्षों में 2.8% की वृद्धि हुई है।
- नामांकन ही नहीं उपस्थिति भी – वर्ष 2005 में 100 में से 13 बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पा रहे थे, यानि उनका एडमिशन ही नहीं होता था। माननीय मुख्यमंत्री ने बच्चों के एडमिशन के लिए स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की। स्कूल भवनों का निर्माण कराया। शराबबंदी के बाद शिक्षा के प्रति जागरूकता और बढ़ी तो आज स्थिति यह है कि 100 में से 99 बच्चे तो स्कूल पहुंच जाते हैं। जो एक बच्चा छूट रहा है, उसे भी स्कूल तक लाने की मुहिम चल रही है।