बिहार ब्यूरो
पटना : अनुनय-विनय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को चंपारण लाने और स्वाधीनता का अलख जगाने वाले भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानी पं० राजकुमार शुक्ल की 93वीं पुण्य तिथि पर सामाजिक सांस्कृतिक संस्था पं० राजकुमार शुक्ल स्मारक न्यास तथा क्रिएशन्स के संयुक्त तत्वावधान में आज बिहार इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन सभागार में स्मृति समारोह का आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता बिहार हिन्दी प्रगति समिति के अध्यक्ष कवि सत्यनारायण ने की । कार्यक्रम का संचालन कमलनयन श्रीवास्तव ने किया। अतिथियों का स्वागत राजेश राज ने तथा आभार ज्ञापन स्व० शुक्ल के परनाती सुमित वत्स ने किया।
समारोह का उद्घाटन विधि एवं गन्ना उद्योग मंत्री प्रमोद कुमार ने दीप प्रज्जवलित कर किया। उन्होंने इस अवसर पर प्रसिद्ध गांधीवादी, पूर्व कुलपति व पूर्व सांसद पद्मश्री डॉ० (प्रो०) राम जी सिंह को शॉल, प्रतीक चिन्ह व प्रमाण पत्र देकर पं० राजकुमार शुक्ल सम्मान-2022 से सम्मानित किया गया। अतिथियों को भी सॉल, स्मृति चिन्ह व पौधा देकर सम्मानित किया गया । उद्घाटन भाषण में गन्ना उद्योग मंत्री प्रमोद कुमार ने कहा कि राजकुमार शुक्ल के प्रयास ने राष्ट्रीय स्वाधीनता की ईमारत खड़ी हुई। कालान्तर में राष्ट्रीय स्वाधीनता की दशा इसी से तय हुई। उन्होने जीवत स्मारक बनाये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होने कहा कि राज्य सरकार स्व० शुक्ल की स्मृति रक्षा एवं उनका जीवंत स्मारक बनाने के लिए हर संभव कार्य करेगी।
प्रसिद्ध गांधीवादी, पूर्व कुलपति व पूर्व सांसद पदमश्री डॉ० (प्रो०) राम जी सिंह ने स्वाधीनता आंन्दोलन के कई संस्मरण सुनाये। उन्होंने स्व. शुक्ल को भारतीय स्वाधीनता संग्राम का अमर सेनानी बताया और कहा कि अमर सेनानी पं० राजकुमार शुक्ल ने ही गाँधी को महात्मा गाँधी बनाया । उनकी स्मृति रक्षा के लिए सरकार की ओर से पहल की जानी चाहिए। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एम० एल० सी० केदारनाथ पाण्डेय ने कहा कि पं० राजकुमार शुक्ल योगदान को विश्वव्यापी बनाने के लिए उनकी जन्मभूमि सतवरिया में एक संग्रहालय सह-पुस्तकालय खोलने तथा उनके घर तक सड़क बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने स्व० शुक्ल की जयंती एवं पुण्यतिथि पर राजकीय समारोह राजधानी पटना में आयोजित करने की मांग सरकार से की।
पूर्व विधायक ललन पासवान ने शुक्ल जी के ऐतिहासिक योगदान की चर्चा की। उन्होंने कहा कि शुक्ल जी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के नींव की ईट हैं। उस सांधारण किसान ने अपनी अर्न्तरात्मा की आवाज पर बड़ी क्रांति की जमीन तैयार की। उन्होने राष्ट्रीय नेताओ को जातीय घेरे में बांधे जाने के चल रहे प्रयासों की निंदा की।
अध्यक्षीय भाषण में कवि सत्यनारायण ने कहा कि संघर्ष की भट्टी में तपे राजकुमार शुक्ल के फौलादी संकल्प और गहरी अन्तदृष्टि ने गांधी को सही-सही पहचान लिया था। शायद इसी कारण उन्होंने गांधी को पहले पत्र में ही महात्मा’ कहकर संबोधित किया था। कालान्तर में पूरे विश्व में गांधी महात्मा हो गये। न्यास के महासचिव कमलनयन श्रीवास्तव ने स्व० शुक्ल को भारत रत्न से अलंकृत करने, उनकी जयंती एवं पुण्यतिथि पर राजधानी पटना में राजकीय समारोह आयोजित करने तथा स्व0 शुक्ल की जन्मस्थली सतवरिया को हॅरिटेज गांव घोषित कर स्मारक द्वार बनाने उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित करने ई-डाकघर तथा अस्पताल खोलने की मांग सरकार से की।
इस अवसर पर डॉ० भैरव लाल दास, डॉ० शिव कुमार मिश्र, डॉ रजनीश रंजन, पवन राठौर, संदीप स्नेह, डॉ० अन्नपूर्णा, डॉ० विभा सिन्हा, डॉ० मीना कुमारी परिहार, डॉ० मनोज लाल दास मनु ने भी अपने विचार व्यक्त किए और शुक्ल जी के जीवन को प्रासंगिक बताया। समारोह में क्रिएशन्स की सचिव नीलिमा सिन्हा, जय प्रकाश अन्नपूर्णा, मोहित कुमार, कुमार पंकज, राय तुहिन कुमार, रविन्द्र कुमार, अर्चना राय भट्ट परितोष कुमार, अतीश कुमार, शिबु कुमार, रितु राज, उजाला राज, उज्जवल राज, लाडो बानी पटेल, रागनी पटेल, इन्द्रजित पटेल, कमल नेपानी मधुरेश शरण, संजीव कर्ण, हरेन्द्र सिन्हा, शुभ चन्द्र सिन्हा आदि सक्रिय रहे। अंत में दो मिनट का मौन धारण कर न्यास के संयोजक रवि भूषण राय की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।